गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी ने भले ही उपचुनाव में गाजियाबाद और खैर विधानसभा सीट कांग्रेस को दे दी है, लेकिन कांग्रेस इससे संतुष्ट नहीं आ रही है। पार्टी ने सपा को पांच सीट पर प्रस्ताव भेजा था। अब कांग्रेस प्रदेश इकाई ने अपने शीर्ष नेतृत्व को पत्र भेजकर उपचुनाव में भागीदारी बढ़ाने की मांग की है।
विधानसभा उपचुनाव की 10 सीटों में कांग्रेस ने गाजियाबाद और खैर सीट समेत फूलपुर, मझवां, मीरापुर की भी सीट की मांगी थी। कांग्रेस का तर्क था कि इन सीटों पर सपा चुनाव हार चुकी है। ऐसे में ये सीटें कांग्रेस को दी जाए, लेकिन सपा ने सात सीटों पर उम्मीदवार उतार दिया है और कुंदरकी पर उम्मीदवार के नाम पर विचार चल रहा है। कांग्रेस को सिर्फ गाजियाबाद और खैर सीट देने का दावा किया है। ऐसे में कांग्रेस की प्रदेश इकाई में हलचल मची हुई है।
पार्टी के कुछ नेताओं का तर्क है कि सपा सीटें नहीं बढ़ाती है तो सभी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। कांग्रेस प्रदेश इकाई की ओर से सिर्फ दो सीटें नाकाफी बताई जा रही हैं। पार्टी ने सीटें बढ़ाने की अपील की है। इस संबंध में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि कांग्रेस ने पांच सीटों का प्रस्ताव दिया था। अभी सीटें तय नहीं हैं। इस मुद्दे पर कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व जल्द ही सपा नेताओं से वार्ता करेगा। प्रदेश इकाई की मंशा से शीर्ष नेतृत्व को अवगत करा दिया गया है।
गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र की स्थिति
गाजियाबाद विधानसभा सीट पर गैर कांग्रेस विधायक के रूप में 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर राजेंद्र चौधरी चुने गए, लेकिन 1880 से 1989 तक फिर कांग्रेस का कब्जा रहा। 1991, 1993 और 1996 में भाजपा और 2002 के चुनाव में फिर कांग्रेस का परचम लहराया। 2004 में सपा, 2007 में भाजपा, 2012 में बसपा और फिर 2017 व 2022 में भाजपा विजयी रही। 2022 के चुनाव में यहां भाजपा को 61.37 फीसदी, सपा को 18.25 फीसदी, कंग्रेस को 4.81 फीसदी और बसपा को 13.36 फीसदी वोट मिला था। यहां से विधायक अतुल गर्ग के यहीं से सांसद चुने जाने के बाद उपचुनाव हो रहा है। इस सीट पर ठाकुर, ब्राह्मण और वैश्य मतदाता हैं, जो भाजपा का परंपरागत वोटबैंक माना जाता है। गुर्जर, जाट और दलित में बंटवारा रहता है।
कैसा है खैर विधानसभा क्षेत्र का समीकरण
अलीगढ़ जिले की खैर विधानसभा क्षेत्र पर 1967, 74 और 80 में कांग्रेस को जीत मिली है, लेकिन 1985 में लोकदल और 1989 में जनता दल का परचम लहराया। 1991 में रामलहर में इस सीट पर भाजपा ने परचम लहराया। फिर राष्ट्रीय लोकदल, जनता दल, भाजपा का परचम लहराता रहा। 2017 व 2022 में भाजपा के अनूप प्रधान चुने गए। उनके हाथरस से सांसद चुने जाने के बाद यहां उपचुनाव हो रहा है। यहां जाट, जाटव और ब्राह्मण मतदाताओं की अधिकता है। यहां 2022 में भाजपा को 55.55 फीसदी, बसपा को 25.98 फीसदी, रालोद को 16.57 फीसदी, कांग्रेस को 0.6 फीसदी वोट मिला था।