नोएडा अथॉरिटी की 200 करोड़ के फिक्स्ड डिपॉजिट लगभग 13 करोड़ रुपये गायब, इनामी आरोपी की गिरफ्तारी के बाद खुलासा

नोएडा: उत्तर प्रदेश के नोएडा अथॉरिटी के साथ ठगी मामले में बड़ा खुलासा सामने आया है। पिछले साल नोएडा अथॉरिटी के साथ एफडी के 200 करोड़ रुपये की ठगी में सेक्टर-58 थाने की पुलिस ने 25 हजार रुपये के एक और इनामी आरोपी को शुक्रवार को अरेस्ट किया है। इस जालसाज ने पूछताछ में कई अहम खुलासे किए हैं। सेक्टर 58-थाने में अथॉरिटी की तरफ से इस मामले रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इस केस में सात लोगों की अरेस्टिंग पहले ही हो चुकी है। शनिवार को पुलिस ने आठवें आरोपी राहुल मिश्रा को दिल्ली से पकड़ा।

राहुल ने पूछताछ में बताया कि पिछले साल 25 जून को अथॉरिटी की तरफ से अधिक ब्याज पर 200 करोड़ रुपये की एफडी खाते का टेंडर रिलीज किया गया। इस पर सेक्टर-62 स्थित बैंक की तरफ से प्रस्ताव मंजूर कर लिया गया। बैंक अधिकारियों ने अथॉरिटी अफसरों से मिलकर 23 जून को दो बार में 100-100 करोड़ रुपये एफडी कराने के लिए ले लिए। नियम के मुताबिक एफडी के लिए अलग से खाता खुलता है। इसी का फायदा उठाकर एक जालसाज ने बीच में एंट्री ली और करोड़ों रुपये का खेल कर दिया।

ऐसे हुआ खेल

मनु भोला नाम का एक जालसाज सेक्टर-62 स्थित बैंक ऑफ इंडिया कर्मी से मिला और फर्जी दस्तावेज पर खुद को अथॉरिटी का अधिकारी बताया और 200 करोड़ रुपये में से 3 करोड़ 90 लाख रुपये एक खाते में भेजने को कहा। ये रुपये अब्दुल कादिर नाम के शख्स के खाते में गए। अब्दुल कादिर के खाते से रकम तीन खातों में भेजी गई।
वहां से दिल्ली में जाकर कैश निकालकर 7 लोगों ने आपस में हिस्सा बांटा। इसके कुछ दिन बाद फिर मनु भोला बैंक में गया और 9 करोड़ रुपये ट्रांसफर करा लिए। इस बीच 3 जुलाई 2023 को नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी बैंक पहुंचे और एफडी खाते की जानकारी मांगी तो पता चला कि कोई और शख्स अधिकारी बनकर रुपये किसी और अकाउंट में ट्रांसफर करा रहा है।
मामले का पता चलते ही अथॉरिटी ने बैंक से शिकायत की। बैंक ने 9 करोड़ रुपये वाला खाता फ्रीज कर दिया। इसके बाद अथॉरिटी अफसरों ने पुलिस में शिकायत दी। जांच शुरू हुई तो पूरा खेल समझ में आया। वहां पता चला कि अकाउंट तो कोई और खुलवा चुका है। शक होने पर खाते को फ्रीज किया गया, लेकिन तब तक बैंक खाते से दो सौ करोड़ रुपये में से 9 करोड़ रुपये ट्रांसफर हो चुके थे।

इस तरह खुला फर्जी खाता

दरअसल, ठग को जब ये पता चला कि अथॉरिटी एफडी अकाउंट खुलवाना चाहती है तो वह बैंक ऑफ इंडिया शाखा में अथॉरिटी अफसर बनकर गया और फर्जी कागज लगाकर खाता खुलवा लिया। इसके बाद वही ठग अथॉरिटी अफसर बनकर रुपये ट्रांसफर करवाता रहा। जब सारी गड़बड़ी सामने आई तो पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया।
जांच शुरू हुई तो अब पता चला कि कुछ बैंककर्मी ने मिलकर पूरी धोखाधड़ी को अंजाम दिया है। वहीं अब बैंक कहना है कि जितने रुपये धोखाधड़ी में गए हैं, उतना पैसा हम अथॉरिटी को लौटाएंगे।

अथॉरिटी का लेटर बैंक पहुंचा ही नहीं

एफडी खाता खोलने के लिए बैंक को अथॉरिटी की तरफ से एक पत्र जारी किया गया, लेकिन ये लेटर बैंक तक नहीं पहुंचा। बल्कि एक अनजान व्यक्ति को सौंप दिया गया, वह शख्स अथॉरिटी ऑफिस पहुंचा और खुद को बैंक ऑफ इंडिया का कर्मचारी बताया। जब अथॉरिटी ने सारे रुपये बैंक को दे दिए तो एक फर्जी मेल आया।
मेल में जानकारी दी गई कि बैंक ऑफ इंडिया में अथॉरिटी का एफडी खाता खुल गया है। धोखाधड़ी होने के बाद मेल देखा गया तो पता चला कि वह फर्जी आईडी से भेजा गया था।

 दिल्ली में निकाली गई पूरी रकम

जालसाजों ने खातों में रुपये ट्रांसफर कराने के बाद दिल्ली में इसे कैश में तब्दील करा लिया। यहां सभी आपस में रुपये बांटकर मौके से फरार हो गए। पूरी रकम अब्दुल कादीर नाम के युवक के खाते में गई थी। इस धोखाधड़ी का मास्टरमाइंड मनु भोला था, जिसे पुलिस ने कुछ दिन पहले पकड़कर जेल भेज दिया।

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